• जब तक सफलता हाथ ना आये तब तक लगे रहो

    Story on जब तक सफलता हाथ ना आये तब तक लगे रहो

    • 2020-08-25 03:05:30
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    • Written by : Unknown
    एक बार की बात है एक गांव में एक साधु रहा करते थे साधु की खासियत यह थी कि जब भी गांव वाले उन से निवेदन करते थे बारिश के लिए तो साधु नाचते थे और जब साधु नाचते थे तो बारिश हो जाती थी यह सिलसिला चलता रहा  जब भी गांव वालों को बारिश की जरूरत होती थी तो साधु से निवेदन किया करते थे और साधु गांव वालों को संतुष्ट कर दिया करते थे    1 दिन शहर के कुछ नवयुवक गांव में घूमने के लिए आये [क्योंकि वह गांव घूमने की दृष्टि से सुंदर था इसलिए] लेकिन उनको साधु के बारे में पता लगा तो उन्होंने सोचा कि क्यों न साधु के पास चला जाए और साधु की परीक्षा ली जाए क्योंकि अक्सर नव युवकों के मन में कई तरीके के सवाल होते हैं  क्योंकि जो इस तरीके की सच्चाई होती है आज का  युवा  इतनी आसानी से मानने को तैयार नहीं होता है  उन्होंने साधु से कहा कि आज बारिश होगी तो साधु ने कहा कि जरूर होगी   युवको ने पूछा कि  कैसे होगी???    तो साधु ने कहा कि बारिश नाचने से होगी लेकिन सबसे पहले तुम्हें एक एक करके नाचना होगा तो एक नवयुवक सबसे पहले नाचता है 1 घंटे तक वह  नाचता है  बारिश नहीं होती है उसके बाद दूसरा नवयुवक नाचता  है बारिश नहीं होती  उसके बाद तीसरा नौजवान नाचता है बारिश नहीं होती है ऐसे करके 4 से 5 नवयुवक अपना काम करते हैं आखिर में साधु का नंबर आता है और साधु जब नाचना शुरू करता है 3 घंटे 4 घंटे 5 घंटे बीत जाते हैं   शाम हो जाती है    अचानक बादल गरजते हैं और बारिश हो जाती है  यानी कि साधु तब तक नहीं रुका जब तक बारिश नहीं हो गई यानि की साधु  को पता तो था कि मैं नाचूंगा और बारिश होगी लेकिन उसने यह मान लिया कि जब तक बारिश नहीं होगी तब तक मैं रुकूंगा नहीं यानी कि इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि Continue...     
    कि जब  तक आपको सफलता हाथ नहीं लगे तब तक आपको मेहनत करते रहना चाहिए और अब तक नहीं रुकना चाहिए  जब तक आपको सफलता हाथ नहीं लग जाती
     
    Bonus Story - आलस आपसे क्या छीन सकता है??
     
     
     अगर आपके पास बहुत सारा पैसा आ जाये तो आप क्या क्या करोगे इस छोटी सी कहानी के माध्यम से आज हम यही सीखने वाले है तो  चलिये आपका ज्यादा समय ना लेते हुए इसे शुरू करते है   एक आश्रम में अपने गुरु के साथ एक शिष्य रहता था लेकिन वह बड़ा आलसी था क्योंकि वह आज का काम कल पर और कल का काम परसो पर  टाल दिया करता था एक दिन गुरु ने सोचा कि क्या किया जाए कैसे इसे समझाया जाए  तो उनके दिमाग मे एक रणनीति आयी और उन्होंने उसे पाठ  पढ़ाने का तरीका खोज निकाला उन्होंने अपने शिष्य से कहा कि ये काला पत्थर मैं तुम्हे देकर जा रहा हु  इसकी मदद से तुम जिस भी लोहे की चीज को घिसोगे वह सोने की बन जाएगी  लेकिन तुम्हारे पास काल सूर्यास्त तक का समय है और यह कहकर गुरुजी चल पड़े   अब वह आलसी शिष्य सोचता रहा कि मैं इस पत्थर से यह करूँगा वह करूँगा अभी तो मेरे पास काफी समय है और मैं खूब सारा सोना बना लूंगा आलसी आदमी ने सोते सोते बहुत ख्वाब बुन लिए लेकिन उनको  पूरा करने की जहमत नही उठा रहा था मतलब प्रयास नही कर रहा था सिर्फ सोच रहा था और सोचते सोचते उसका एक दिन बीत गया  जैसे ही वह सुबह उठा तो उसने सोचा अभी तो मेरे पास शाम तक  का वक्त है मैं इसे बहुत जल्दी पूरा कर लूंगा देखते देखते दोपहर हुई उसने खाना खाया और सोचा थोड़ी देर आराम कर लेता हूं उठने के बाद कर लूंगा और वह आलसी शिष्य सो गया  जैसे ही उसकी नींद खुली उसने देखा कि सूर्यास्त होने को आया  अब उसे जाना ही होगा और वह उस काले पत्थर को लेकर बाजार में  जा ही रहा था इतने में गुरुजी उसको मिल गए  और वह पत्थर उससे ले लिया बोले तुम्हारा समय खत्म हो चुका है उसको बहुत पछतावा हुआ की वह कुछ नही कर पाया  लेकिन अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत   हमारे साथ भी तो यही होता है कभी कभी हम भी तो  यही करते है आलस करते जाते है आज का काम कल और आगे से आगे उसे टालते जाते है इससे समय निकल जाता है  कयोंकि समय का पहिया तो रुकने वाला नही है अगर हमने समय के साथ हमारे कामो को पूरा नही किया तो हमारा भी वैसा ही हाल होगा जैसा उस शिष्य का हुआ  और आपको एक बात बता दु  सचिन तेंदुलकर जब मैच नही होता था तब भी क्रिकेट के लिए प्रैक्टिस किया करते थे  इसलिए जो होता है अभी होता है बाद मे कुछ नही होता है समय निकलता जाता है          

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